फर्जी नामो की जस्सू, धीरज, मनोज, मनीष,मेहन्द्र, अलग-अलग पहचान बनाकर कर अवैध गतिविधियों को देते हैं अंजाम। मध्यप्रदेश राजस्थान में कई प्रकरण दर्ज फिर भी बैखोफ होकर कर रहे अवैध गतिविधियों को संचालित-मामला पुहंचा गृह मंत्री के पास हो सकती है सफेमा की बड़ी कार्यवाही
मंदसौर-पीपलिया मंडी स्थित मीनाक्षी ढाबे पर बेखौफ होकर बहुचर्चित तस्कर जस्सू मुंशी धीरज, मनीष,मेहन्द्र, अपने अलग-अलग नामों की पहचान बनाकर तस्करी के अवैध गतिविधियों को अंजाम देता है. इन लोगों को तस्करों की चमक इतनी है कि बैखोफ होकर ढाबे से ही हरियाणा पंजाब राजस्थान में आदि सीमावर्ती क्षेत्रों में अपना माल पुहंचा देते है। पूर्व में षड्यंत्र रच कर पिपलिया मंडी में ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार कमलेश जैन ने अपनी कलम से काले कारनामों की खबरे प्रकाशित की थी.जिससे बौखलाकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लंबे समय की जेल काटने के बावजूद अब ढाबे की आड़ में तस्करी, अवैध हथियार, जहरीली शराबों के साथ लड़की परोसने का बैखोफ होकर संचालित कर रहा है। जस्सू धीरज बाप बेटे का एक हुनर यहां भी है कि कोई भी नया अधिकारी उनकी शरण में आता है तो उससे खासा व्यवहार बना लेना जिसके कारण पुलिस इसकी चौकट तक नहीं पहुंच पाती.जिससे पुलिस अपनी दया दृष्टि बनाएं रखती है। पूर्व में भी आबकारी विभाग से सेटिंग कर तस्करी का काला चिट्ठा गोल मोल कर बैठे हैं. जसू मुंशी,धीरज, महेंद्र, मनोज,मनीष, महेंद्र, आंदोलन में भड़काए जाने को भी लेकर इनकी भूमिका रही हैं।और खूब जमकर नोट कमाएं है, सूत्र बताते हैं कि किसान आंदोलन के समय मीनाक्षी ढाबे पर से पेट्रोल से भरी कैन उपलब्ध कराई गई थी.और दंगे में चिंगारी भड़कने का काम किया गया था. कुछ दिन पहले भी पिपलिया मंडी में जहरीले शराब पीने से कई लोगों को अपनी जान गवाना पड़ी है. जिसके बाद प्रशासन भी हरकत में आकर तुरंत एक्शन लेते हुए ठेकेदारों से लेकर कर्मचारियों के ऊपर कार्रवाई की है। मगर सबसे शर्मसार बात यहां देखने को मिली है कि छुटपुट लोगों पर कार्रवाई और शासन द्वारा की गई और बड़े मगरमच्छ पर शासन प्रशासन मेहरबान कि दया दृष्टि बनाएं रखने का काम किया.राजस्थान से ढाबे के अंदर ही जहरीली शराब के साथ लड़कियां परोसने का काम किया जा रहा है. जिसकी खबर शायद शासन प्रशासन को भी है.मगर अब इसके काले कारनामों की फाइल गृह मंत्री तक पहुंच चुकी है. फिर भी निचले स्तर के कर्मचारी मिनाक्षी ढाबे संचालक,जस्सू धीरज पर कोई कार्रवाई नही कर पा रहे हैं. इससे साफ तौर पर पता चलता है कि पुलिस और मीनाक्षी ढाबे की इतनी बड़ी सांठगांठ है। मंदसौर में विगत कुछ दिन पहले पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार पांडे ने पदभार संभाला है.बताया जाता जा रहा है की पुलिस अधीक्षक अपनी इमानदारी से पहचाने जाते हैं.और अपराधियों की गतिविधियों पर नज़र रख ठोस कार्रवाई करते हैं.पर निचले स्तर के कुछेक खाकीधारी के चलते दबिश और कार्रवाई की सूचना पहले ही मीनाक्षी ढाबा संचालकों के कानों तक पुहंच जाती है.जिसका वहां सीधा फायदा उठाकर अपने अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हैं.सिर्फ पंचायत की परमिशन से ही ढाबा संचालित हो रहा है. एक तरफ तो प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तस्करी, गुंडे तत्व, भू माफिया, सट्टा माफियाओं के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने का फरमान जारी किए हुए हैं. तो दूसरी तरफ बैखोफ होकर मिनाक्षी ढाबा संचालक जस्सू और धीरज सरकार को ही चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं.और मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की तहसील पीपलिया मंडी में पनप रहे हैं। और अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हुए आज करोड़ों रुपए के आसामी बन बैठे हैं।प्रशासन तस्करों गुंडे तत्वों के निष्पक्ष जांच कर रिकार्ड खंगाला जाएं तो सबसे पहले मामले में बड़ी तस्करी के तर्ज और मार्डर जेसे मामलों में लिप्त रह चुके ढाबे संचालकों के ऊपर सफेमा की कार्रवाई हो सकती है।
गोल माल मामला आज तक अटका - वर्षों से पीपलिया मंडी में 611.09 किलो अफीम डोडा चुरा की तस्करी का मामला अभी अटका पड़ा हुआ है. जिला आबकारी अधिकारी के ठंडे बस्ते में डाल कर मामले को रफा-दफा कर दिया है मामले में NDPS एक्ट में कार्यवाही होना चाहिए थी साथ ही शासन की सील सम्पति के साथ लगातार छेड़छाड़ का मामला दर्ज होना चाहिए था, पर मामला कई वर्षों से आज तक अधर में ही लटका पड़ा है ।
मन्दसौर जिले के पिपलियामंडी के वार्ड क्रमांक 05 में स्थित डोडा चुरा (पोपिस्ट्रा) गोडाउन जिसमे 1973.82 किलोग्राम डोडा चुरा था । अफीम डोडा चुरा का ठेका 31.03.2001 को समाप्त हो गया जिसमें पंचनामा एवं आबकारी उपनिरीक्षक की उपस्थिति में 04.07.2006 को तोलने पर 611.09 किलोग्राम कम पाया गया । जिसकी पंचनामा रिपोर्ट आबकारी विभाग को दी गयी । इसी केस में गोडाउन मालिक ने विभाग को 13.07.2005 को एक पत्र भी लिखा था जिसमे ठेकेदार द्वारा किराया नही दिए जाने का हवाला था । अब 11.03.2018 को गोडाउन का दान विलेख रजिस्ट्री की बाते लोगो की कानाफूसी से सामने आ रही है। गोडाउन विभाग के कब्जे में है और सीलबंद सम्पति का दान होना कही न कही विभाग ओर कानून के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा लगाता है डोडा चुरा (पोपिस्ट्रा) की कमी का केवल पंचनामा ही आज तक घूम रहा है इस प्रकरण में आज तक न ठेकेदार ओर न गोदाम मालिक पर कोई कार्यवाही हुई न कोई जाँच समाने आ पाई है। जो भी अधिकारी चार्ज में होता है उससे उक्त व्यक्तियों के बहुत ही मधुर संबंध बन जाते है। जिसका फायदा भी उक्त अधिकारी को मिलता है। नोटों की गड्डियों से खरीद लिया जाता है. जिस कारण पंचनामा ओर छह क्विंटल से अधिक के डोडा चुरा का कोई प्रकरण दर्ज नही हो पाया । प्रदेश में बड़े खुलासे ओर कार्यवाहियों में क्या ये अटका रहेगा या फिर फाइल पर निष्पक्ष जांच कर कोई बड़ी कार्यवाही हो सकेगी।इस मामले में लिप्त आबकारी अधिकारीयों पर भी निष्पक्ष जांच होने पर गाज गिर सकती है।

