नीमच। फरार कुख्यात मादक पदार्थ तस्कर कमल राणा की चहलकदमी अब चिताखेड़ा के जंगलों में इन दिनों देखी जा रही हैं। दो नंबर का कारोबार भी इन दिनों इस क्षेत्र में खूब फल-फूल रहा हैं। कलम राणा की अवैधानिक गतिविधिया जोरो पर हैं। यहां से महज तीन किलोमीटर दूर ही राजस्थान बॉर्डर लग जाने के कारण तस्कर ने इस गांव का अपना अड्ढ़ा बनाकर तस्करी का कारोबार शुरू कर दिया है। मादक पदार्थ तस्कर बाबू सिंधी के जेल में जाने के बाद एक तरफा राज कमल राणा का हो गया है और जोरो पर राजस्थान में मादक पदार्थ की तस्करी जारी है। मंदसौर पुलिस ने भी चीताखेड़ा में उपस्थिति की सूचना पर दबिश दी, लेकिन गुर्गे सक्रिय होने के चलते वह पहले से ही भाग जाते हैं।
अक्टुबर 2016 में म.प्र. पुलिस ने रणथम्बोर से गिरफ्तार किया तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने खास तौर से नीमच पुलिस को बधाई दी थी। कारण था कि कमल राणा पर 25 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। जेल से बाहर आने के बाद कमल राणा की गैंग सक्रिय है।
पग डंडियों का सहारा राणा को मददगार बना रही—
चीताखेड़ा के जंगलों व आवरी माता क्षेत्र में ऐसी कई पग डंडिया हैं जो सीधे राजस्थान की सीमा से जुड़ती हैं। इन दिनों ये पग डंडिया कमल राणा ओर इनके साथियों के लिए भी मददगार बन रही है। उपयोग में हो रही हैं। पग डंडी के रास्ते पर ना तो पुलिस पंहुच पाती हैं। कारण ऐसी कई पग डंडिया जिस पर पुलिस के पंहुचने से पहले ही राणा व इनके साथियों को इसकी भनक लग जाती हैं । ओर वहां से सीधे राजस्थान की सीमा पर प्रवेश कर जाते हैं। अगर इस रास्ते पर से कोई अनजान व्यक्ति निकलता हैं तो इनके मुखबिर तुरन्त फोन पर राणा की गेंग को सचेत कर देता हैं। उस व्यक्ति की जानकारी इनके साहगीरों को भेज दी जाती हैं। जिससे कि दो नंबर का कारोबार करने वाले समय से पहले शातिर हो जाते हैं ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माफिया अभियान में भी अन्य तस्करों पर कार्रवाईयां हुई लेकिन जिले में बरसों से जमे कूछ पूलिस कर्मीयों ने लगातार वरिष्ठों को अंधेरे में रखा। जिस के चलते पूलिस कमलराणा और उसके गुर्गों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर उनके नाम सामने लाने में असफल रही।
बताया जा रहा कि कमल राणा के नेटवर्क में 500 से भी ज्यादा लोग शामिल हैं। शातिर कमल राणा की गैंग में पुलिस के लोग, कई गांवों के युवा और सोशल मीडिया पर लिखने वाले लोग शामिल हैं, जिनके दम पर कमल राणा डोडाचुरा, स्मैक और अफीम की तस्करी कर रहा है।
छवि चमकाने सोशल मीडिया पर रख रखे हैं गुर्गे—
भोपाल, उदयपुर, मंद्सौर, प्रतापगढ और नीमच जिले के 150 से ज्यादा लोगों ने राणा को संरक्षण दे रखा है । इन सभी सहयोगियों के नाम सामने आने थे मगर यह तो दूर की बात खुद कमल राणा पर दर्ज दर्जनों मामलों में राणा आसानी से जमानत पर बरी होता गया। साफ है कि लोग अब भी उसका सहयोग कर रहे हैं। यही नही छवि चमकाने के लिए सोशल मीडिया पर कुख्यात तस्कर कमल राणा के नए-नए नाम गढ़े जा रहे हैं। यह सारी कवायद उसकी सेकड़ो करोड़ की संपत्ति को बचाने और एक नम्बर में तब्दिल करने के लिये है। इस काम में कई ठेकेदार उसकी मदद कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में इन दिनों कमल राणा की टीम राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कर फिर से सक्रिय हो चुकी है। टीम के दलाल गांव गांव घूम कर जगह जगह से काश्तकारों कम दाम में माल एकत्र कर रहे है। इनकी वर्तमान टीम बड़ी बड़ी खेप उतारने की तैयारियों में जुट गई है। वहीं पुलिस की नज़रों से बचकर डीलिंग भी करने के लिए नए नए युवाओं को मोहरा बनाया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में निपटे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनाव लड़कर जीत चुके एक नेताजी के मार्गदर्शन में यह टीम बड़ी ही चालाकी से काम कर रही है।
जिले में खाकी की बिगड़ती हुई छवि कोसुधारने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने युवा और होनहार पुलिस कप्तान सूरज कुमार वर्मा को जिले की कमान सौंपी है। ऐसे में अब पुलिस कप्तान सूरज कुमार वर्मा स्पेशल टीम का गठन कर तस्कर कमल राणा के अवैध तस्करी के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाए तो सफलता की उम्मीद दिखाई देगी। वरना जिले के थाना क्षेत्रों में तो खाकी पर बाबू के बाद कमल राणा जैसे बदनाम दाग के चलते कभी भी पुलिस सफलता की राह पर दिखाई नहीं देगी।
बताया जाता है कि कुछ निचले स्तर के पुलिसकर्मी भी अंतर्राष्ट्रीय तस्कर कमल राणा का अवैध मादक पदार्थ की तस्करी की गाड़ियां निकलवाने में साथ देते हैं।और वरिष्ठ अधिकारियों के इनपुट भी तस्कर राणा के पास पुहंचा देते हैं। जिसके एवज में मदद करने वाले खाकी को दागदार करने वाले पुलिसकर्मियों को मोटी रकम दी जाती है। वहीं सोशल मीडिया पर भी कुछ कमल राणा के गुर्गों ने ठेका लिया हुआ है। इसके लिए राणा का साथ देना होता है।और सोशल मीडिया पर पैनी नजर बनाएं रखनी पड़ती है।साथ ही राणा की तस्करी से लेकर अपराधों की खबर प्रकाशित नहीं होने की बात समाने आई है। जिसके एवज में एवज में ठेकेदार को प्रति माह लाखों रुपए लेते हैं।

